दक्षिण अफ्रीका के “राष्ट्रपिता” नेल्सन मंडेला / Nelson Mandela Biography In Hindi
नेल्सन रोलीहलाहल मंडेला का जन्म रोहिह्लाल मंडेला के नाम से हुआ था वे दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत भूतपूर्व राष्ट्रपति थे. उन्होंने 1994 से 1999 तक दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रपति बनकर सेवा की. वे देश के पहले काले मुख्य अधिकारी थे, और लोकतान्त्रिक चुनाव जितने वाले पहले व्यक्ति थे. रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा. इसके साथ ही उन्होंने अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) की 1991 से 1997 तक अध्यक्ष बनकर सेवा की.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, मंडेला ने 1998 से 1999 तक विविध राजनैतिक अभियानों एवं आंदोलनों में हिस्सा लिया. नेल्सन का जन्म थेंबू शाही राजघराने में हुआ था, मंडेला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा फोर्ट हरे यूनिवर्सिटी और लॉ की शिक्षा वितवाटर्सरैंड यूनिवर्सिटी से ग्रहण की. जोहान्सबर्ग में रहते हुए ही वे बहोत से राजनैतिक कार्यक्रमो और अभि यानों में हिस्सा लेने लगे थे. बाद में वे ANC में शामिल हुए ताकि वे युथ लीग के संस्थापक सदस्य बन जाये.
1948 जब सरकारी अधिकारो में गोरो को ज्यादा महत्त्व दिया जाता था तो उन्होंने 1952 में अपनी पार्टी ANC के साथ मिलकर अश्वेत अभियान शुरू किया. और इस अभियान के बाद ही वे 1955 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने. एक वकील होते हुए भी, उनके बहोत से कामो की वजह से उन्हें कैद भी किया गया था.
5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया. उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी गयी. सज़ा के लिये उन्हें रॉबेन द्वीप की जेल में भेजा गया किन्तु सजा से भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ। उन्होंने जेल में भी अश्वेत कैदियों को लामबन्द करना शुरू कर दिया था. जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई. रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी.
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1994 में दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए. अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी. 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने. दक्षिण अफ्रीका के नये संविधान को मई 1996 में संसद की ओर से सहमति मिली जिसके अन्तर्गत राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों की जाँच के लिये कई संस्थाओं की स्थापना की गयी. 1997 में वे सक्रिय राजनीति से अलग हो गये और दो वर्ष पश्चात् उन्होंने 1999 में कांग्रेस-अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया.
नेल्सन मंडेला बहुत हद तक महात्मा गांधी की तरह अहिंसक मार्ग के समर्थक थे. उन्होंने गांधी को प्रेरणा स्रोत माना था औ्र उनसे अहिंसा का पाठ सीखा था.
दक्षिण अफ्रीका के लोग मंडेला को व्यापक रूप से “राष्ट्रपिता” मानते थे. उन्हें “लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक”,”राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता” के रूप में देखा जाता था. 2004 में जोहनसबर्ग में स्थित सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गयी और सेंटर का नाम बदलकर नेल्सन मंडेला स्क्वायर रख दिया गया. दक्षिण अफ्रीका में प्रायः उन्हें मदी बाकह कर बुलाया जाता है जो बुजुर्गों के लिये एक सम्मान-सूचक शब्द है. नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभाने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया. 67 साल तक मंडेला के इस आन्दोलन से जुड़े होने के उपलक्ष्य में लोगों से दिन के 24 घण्टों में से 67 मिनट दूसरों की मदद करने में दान देने का आग्रह किया गया. मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं
जरुर पढ़े :- नेल्सन मंडेला के प्रेरणादायक सुविचार – Nelson Mandela Quotes In Hindi
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नेल्सन रोलीहलाहल मंडेला का जन्म रोहिह्लाल मंडेला के नाम से हुआ था वे दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत भूतपूर्व राष्ट्रपति थे. उन्होंने 1994 से 1999 तक दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रपति बनकर सेवा की. वे देश के पहले काले मुख्य अधिकारी थे, और लोकतान्त्रिक चुनाव जितने वाले पहले व्यक्ति थे. रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा. इसके साथ ही उन्होंने अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) की 1991 से 1997 तक अध्यक्ष बनकर सेवा की.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, मंडेला ने 1998 से 1999 तक विविध राजनैतिक अभियानों एवं आंदोलनों में हिस्सा लिया. नेल्सन का जन्म थेंबू शाही राजघराने में हुआ था, मंडेला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा फोर्ट हरे यूनिवर्सिटी और लॉ की शिक्षा वितवाटर्सरैंड यूनिवर्सिटी से ग्रहण की. जोहान्सबर्ग में रहते हुए ही वे बहोत से राजनैतिक कार्यक्रमो और अभि यानों में हिस्सा लेने लगे थे. बाद में वे ANC में शामिल हुए ताकि वे युथ लीग के संस्थापक सदस्य बन जाये.
1948 जब सरकारी अधिकारो में गोरो को ज्यादा महत्त्व दिया जाता था तो उन्होंने 1952 में अपनी पार्टी ANC के साथ मिलकर अश्वेत अभियान शुरू किया. और इस अभियान के बाद ही वे 1955 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने. एक वकील होते हुए भी, उनके बहोत से कामो की वजह से उन्हें कैद भी किया गया था.
5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया. उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी गयी. सज़ा के लिये उन्हें रॉबेन द्वीप की जेल में भेजा गया किन्तु सजा से भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ। उन्होंने जेल में भी अश्वेत कैदियों को लामबन्द करना शुरू कर दिया था. जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई. रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी.
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1994 में दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए. अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी. 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने. दक्षिण अफ्रीका के नये संविधान को मई 1996 में संसद की ओर से सहमति मिली जिसके अन्तर्गत राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों की जाँच के लिये कई संस्थाओं की स्थापना की गयी. 1997 में वे सक्रिय राजनीति से अलग हो गये और दो वर्ष पश्चात् उन्होंने 1999 में कांग्रेस-अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया.
नेल्सन मंडेला बहुत हद तक महात्मा गांधी की तरह अहिंसक मार्ग के समर्थक थे. उन्होंने गांधी को प्रेरणा स्रोत माना था औ्र उनसे अहिंसा का पाठ सीखा था.
दक्षिण अफ्रीका के लोग मंडेला को व्यापक रूप से “राष्ट्रपिता” मानते थे. उन्हें “लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक”,”राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता” के रूप में देखा जाता था. 2004 में जोहनसबर्ग में स्थित सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गयी और सेंटर का नाम बदलकर नेल्सन मंडेला स्क्वायर रख दिया गया. दक्षिण अफ्रीका में प्रायः उन्हें मदी बाकह कर बुलाया जाता है जो बुजुर्गों के लिये एक सम्मान-सूचक शब्द है. नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभाने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया. 67 साल तक मंडेला के इस आन्दोलन से जुड़े होने के उपलक्ष्य में लोगों से दिन के 24 घण्टों में से 67 मिनट दूसरों की मदद करने में दान देने का आग्रह किया गया. मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं
जरुर पढ़े :- नेल्सन मंडेला के प्रेरणादायक सुविचार – Nelson Mandela Quotes In Hindi
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